Saturday, September 22, 2018

हाइकु -

प्रजातंत्र में
मानव अभिमत
देश का सत

-डा० संजय कुमार सराठे

हाइकु -

आज के नेता
देश के पौधे पर
अमरबेल

-डा० संजय कुमार सराठे

हाइकु -

सूखे दरख्त
समाज के बंधन
सींचेगा कौन

-डा० संजय कुमार सराठे

हाइकु -

देश की शान
विश्व में पहचान
भाषा हिन्दी की

-डा० संजय कुमार सराठे

हाइकु -

धरा ने ओढ़ी
चादर सुनहली
नई उषा की

-डा० संजय कुमार सराठे

हाइकु -

धरा श्रृंगार
स्वीकार कर लिया
नीर कणों ने

-डा० संजय कुमार सराठे

हाइकु -

टिपटिपाती
बूँदें बरसात की
नया संगीत

-डा० संजय कुमार सराठे

हाइकु -

महिला रक्षा
नई ढपली हेतु
पुराना राग

-डा० संजय कुमार सराठे

हाइकु -

शिक्षा का रथ
सारथी के अभाव
बढेग़ा कैसे

-डा० संजय कुमार सराठे

हाइकु -

रात-दिन की
मिलन मनुहार
संध्या के द्वार

-डा० संजय कुमार सराठे

हाइकु -

आज की शिक्षा
बिना नींव का एक
ऊंचा भवन

-डा० संजय कुमार सराठे

हाइकु -

अभिनंदन
धरती के रूप का
किया वर्षा ने

-डा० संजय कुमार सराठे

हाइकु -

प्रकृति नारी
हरित श्रृंगार में
मोहक लगे

-डा० संजय कुमार सराठे

हाइकु -

हाय मानव
पहचान खो गई
इस युग में

-डा० संजय कुमार सराठे

हाइकु -

फूले कास ने
हथेली फैलाकर
समेटी खुशी

-डा० संजय कुमार सराठे